25 मई को भगवान सूर्य रोहिणी नक्षत्र (Rohini Nakshatra) में प्रवेश करेंगे और इसी के साथ ही नौतपा (Nautapa 2021) शुरू हो जाएगा।
नौतपा से आशय सूर्य का नौ दिनों तक अपने सर्वोच्च ताप में होना है यानि इस दौरान गर्मी अपने चरम पर होती है।
इस समय देश में सूर्य पृथ्वी के सबसे नजदीक होता है।
ज्योतिष गणना के अनुसार, जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में 15 दिनों के लिए आता है तो उन पंद्रह दिनों के पहले नौ दिन सर्वाधिक गर्मी वाले होते हैं। इन्हीं शुरुआती नौ दिनों को नौतपा के नाम से जाना जाता है। खगोल विज्ञान के अनुसार, इस दौरान धरती पर सूर्य की किरणें सीधी लम्बवत पड़ती हैं। जिस कारण तापमान अधिक बढ़ जाता है। यदि नौतपा के सभी दिन पूरे तपें, तो यह अच्छी बारिश का संकेत होता है।
ऐसा माना जाता है कि सूर्य की गर्मी और रोहिणी के जल तत्व के कारण मॉनसून गर्भ में आ जाता है और नौतपा ही मानसून का गर्भकाल माना जाता है।
जब क्रूर माने जाने वाले ग्रह शनि और राहू जैसे-जैसे एक-दूसरे के करीब आते जाते हैं, वैसे-वैसे सूर्य आग उगलने लगता है और धरती तपने लगती है, साथ ही बारिश भी होती है।
ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष में जिस दिन आद्रा नक्षत्र शुरू होता है, उस नक्षत्र से अगले 10 नक्षत्र तक नौतपा माना गया है। माना जाता है कि यही 10 नक्षत्र मानसून में पानी प्रदान करते हैं। नौतपा के दौरान यदि बारिश होती है तो मानसून के मौसम में सूखा पड़ने की संभावना रहती है और यदि नौतपा में भीषण गर्मी पड़े तो बारिश अच्छी होती है।
नौतपा में क्या करें..
नौतपा के दौरान महिलाएं हाथ पैरों में मेहंदी लगाती हैं। क्योंकि मेहंदी की तासीर ठंडी होने से तेज गर्मी से राहत मिलती है। इन दिनों में पानी खूब पिया जाता है और जल दान भी किया जाता है ताकि पानी की कमी से लोग बीमार न हो। इस तेज गर्मी से बचने के लिए दही, मक्खन और दूध का उपयोग ज्यादा किया जाता है। इसके साथ ही नारियल पानी और ठंडक देने वाली दूसरी और भी चीजें खाई जाती हैं।
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