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हिंदी शायरी याद शायरी रोमांटिक शायरी



 स्वागत है आपका कुछ हसीन शायरी कलेक्शन के साथ

--

❤️ तेरे नाम के साथ बस एक बार मेरा नाम आऐ..

   लुटा देंगे जान चाहे जैसा  भी इम्तिहान 


महफूज सारे बादशाह  वजीर और शहजादे है ,

जो बेघर है तूफां मे  वो महज प्यादे है ।


"चुभ जाती है बातें कभी- कभी तो कभी, लहजे मार जाते है,

ये जिंदगी है जनाब, यहाँ हम.......

गैरों से, ज्यादा अपनों से हार जाते है"..!!


बहुत मुश्किल हो गया है खुद को संभाले रखना_____!! 

मगर कोई कह कर गये है खुद का ख्याल रखना___


*आँखों से दूर दिल के करीब था, मैं उस का वो मेरा नसीब था...!*

न कभी मिला न जुदा हुआ, रिश्ता हम दोनों का कितना अजीब था...!!!*


*जिन्दगी जख्मो से भरी है, वक्त को मरहम बनाना सीख लो...!

हारना तो है एक दिन मौत से, फिलहाल 'जिन्दगी जीना सीख लो'...!!!*


*यह सुर्ख लब, ये रुखसार, और ये मदहोश नजरें...!*

इतने कम फासले तो मयखाने भी नहीं होते*


* तुम ज़रा हाथ मेरा थाम के देखो तो सही,

लोग जल जायेंगे महफ़िल मै चिरागो की तरह!!



.* इक झलक जो मुझे आज तेरी मिल गयी मुझे

फिर से आज जीने की वजह मिल गयी


बदलें हैं मिज़ाज़ उनके कुछ दिनों से ग़ालिब,

वो बात तो करते हैं मगर वो बात नहीं ।।।


* *बचत करने की आदत सी हो गई  है,*

मैं अपना दर्द अब कम ही बांटता हूँ।*


**_"वो मंज़िल ही बदनसीब थी जो हमें पा ना सकी,…. वरना जीत की क्या औकात जो हमें ठुकरा दे ।"_*

🌹🍁🌳🌲🍃🌿🌸🎋🍂🎍🍀


* *जिनसे कभी ना मिले वो, हमराज हो गये...!*

दिल के रिश्ते,मोबाईल के मोहताज हो गये...!!!*


**टुटा दिल बिखरे अल्फाज, सब सिमट गया उन पन्नों पर...!*


*कुछ इश़्क लिखा, कुछ अश़्क लिखें, सब कुछ था, उन कोरे पन्नों पर...!!!*


* ऐसे ही गुजार ली जिन्दगी हमने

कभी खुदा कि रजा समझ कर, कभी अपने गुनाहो कि सजा समझकर...!


रखना है तो फूलों को, तू रख ले निगाहों में...!!

ख़ुशबू तो मुसाफ़िर है, खो जाएगी राहों में...!!!!🧚🏻‍♀️💫💓

 


*अब  मुझे  भी  जरूरत  पड़ने  लगी  है  चश्मे  की,

लोगों  के  धोखे  अब  ठीक  से  नज़र  नहीं  आते*.।।

🌺🙏🌺


*_किताबो कि अहमियत अपनी जगह है जनाब,,_ 

    _सबक वहीं याद रहता है जो वक़्त और लोग सिखाते है..!!!_

 _____🙏🙏🌹🌹🌹


***हल्की सी हो चुकी है नाजुक पलके मेरी...!*

मुद्दतो बाद इन नजरो से गिरा है कोई...!!!*


ना हो फिक्र किसी की, 

ये जज़्बादो में झलक जाता है.. 

जैसे दुख हालातों में,

और प्यार बातों में झलक जाता है..!!


*शायद यही ज़िंदगी का इम्तिहान होता है, 

हर एक शख्स किसी का गुलाम होता है, 

कोई ढूढ़ता है ज़िंदगी भर मंज़िलों को, 

कोई पाकर मंज़िलों को भी बेमुकाम होता है।


*एक तू है जिसे परवाह नहीं #मेरी,

एक मैं हूँ जो परेशान तेरे लिए।,,


*🌹दो कदम तो सभी चल लेते हैं पर ज़िन्दगी भर साथ कोई नहीं निभाता........

अगर रो कर भुला सकते यादें तो हँस कर कोई अपने गम न छुपाता........✍🏻


*🌹ज़िन्दगी की हर तपिश को मुस्कुरा  कर झेलिए........

धूप कितनी भी हो समुंदर सूखा नहीं करते.........✍🏻


*🌹आँसू छिपा लिए हमने ये सोचकर........

क्यों किसी को उदास करना खुद उदास रहकर........✍🏻


*कुछ याद आया तो लिखेंगे फिर कभी ..!!

फिलहाल तो रूह बेचैन है उसकी तस्वीर देख कर..!!


*मैने देखे है उसकी आँखो में बिखरे हुए ख्वाब,,सारे

जबकी हर शख्स ने फैला हुआ काजल देखा है बस,,


*🌹मुझे मालूम है कि वो रास्ते कभी मंजिल तक नहीं जाते हैं........

फिर भी मैं चलता हूँ क्यूँकि उस राह में कुछ अपनो के घर भी आते हैं........✍🏻


**रद्दी तक तौली जाती है तराज़ू में बिकने से पहले...*

अगर तुम्हें कोई परख रहा है तो बुरा क्या है...*✍️


**या तो खरीद लो...या ख़ारिज़ कर दो मुझे दोस्तों....*

यूँ सहूलियत के हिसाब से किराए पर मत लिया करो...!


मंजिल  भी उसी की थी रास्ता भी उसका था,_एक हम अकेले थे काफिला भी उसका था,_

साथ साथ चलने की कसम भी उसी की थी,_और रास्ता बदलने का फैसला भी उसका था।_📝✒️


🌹यह मेरा इश़्क था या फिर दीवानगी की इन्तहा........

कि तेरे ही करीब से गुज़र गए तेरे ही ख्याल से........✍🏻


🌹जुनून था किसी के दिल मे ज़िन्दा रहने का........

नतीजा ये निकला के हम अपने अंदर ही मर गए........✍🏻


🌹मुझमें बेपनहा मोहब्बत के सिवा कुछ भी नही........

अगर तुम चाहों तो मेरी एक-एक धड़कन की तलाशी ले लो.......


🌹मेरे सामने रखा हुआ था खुशियोँ का पिटारा........

मैंने तुम्हारा दिया गम उठाया और चल पड़ा........✍🏻


*🌹मुझे मालूम है कि वो रास्ते कभी मंजिल तक नहीं जाते हैं........

फिर भी मैं चलता हूँ क्यूँकि उस राह में कुछ अपनो के घर भी आते हैं........✍🏻


तू छोड़ दें कोशिशें इंसानों को पहचानने की, 

यहाँ ज़रूरतों के हिसाब से सब बदलते नक़ाब है,

अपने गुनाहों पर सौ परदे डाल कर 

हर शख़्स के कहता है, ज़माना बड़ा ख़राब है....


टुटा दिल बिखरे अल्फाज .....सब सिमट गया उन पन्नों पर.....कुछ इश्क लिखा,कुछ अश्क लिखें.... सब कुछ था उन कोरे पन्नों में...



*कैसे कहूं की रूह में बसने लगे हो तुम,*

*आगाज़ ज़िंदगी का लगने लगे हो तुम...*

*एक बार अपने दिल से लगा लो आकर,*

*दिल कह रहा है कि दिल में धड़कने लगे हो तुम..!!!*🌷💖🌷


* *_"सारे गुलशन में तुझे ढूँढ के मैं नाकारा,_*

*_अब हर इक फूल को ख़ुद अपना पता देता हूँ,_*

*_कितने चेहरों में झलक तेरी नज़र आती है,_*

*_कितनी आँखों को मैं बेबात जगा देता हूँ..!"_🌹*


* ऊँचे आसमान से मेरी ज़मीन देख लो,

तुम ख्वाब आज कोई हसीं देख लो,

अगर आज़माना हैं ऐतबार को मेरे तो,

एक झूठ बोलो और मेरा यकीन देख लो।


* इंतज़ार रहता है हर शाम तेरा,

राते कटती है लेकर नाम तेरा,

मुद्दत से बैठा हूँ पाल के ये आस,

कभी तो आएगा कोई पैग़ाम तेरा !!


* मौसम ए तकदीर आज फिर रुखा है 

बस केवल आंखों में ही नमी है 

इश्क़ का रंग आज भी फीका है 

बस केवल दिल में ही खलिश है 

घर में आज भी सब कुछ होता है 

बस केवल कमी तेरी ही रहती है

❤️❤️❤️


* *अपने वही हैं जो  खामोशी पढ़ लेते हैं .*

 *वरना अंदाजे तो  बेगाने भी लगा लेते हैं ..*

            ❤️❤️❤️


* “इतना तो कोइ भी तुम्हें चाह नही सकता,

जितना तुम्हें हमने सिर्फ सोचा है।”


*मरीज-ए-मोहब्बत हूं, इक तेरा ✒  दीदार काफी है,

हर एक दवा से बेहतर, निगाहे-ए-यार काफी है.


हम तुम हमेशा रहेंगे एक नदी के दो किनारों की तरह, 

बेशकजुदा हैं एक दूसरे से लेकिन हमारे बीच यादों_का_दरिया, हमेशा बहता रहेगा..💕


तेरे होंठो में भी क्या खूब नशा है ऐ सनम...

लगता है तेरे जूठे पानी से ही शराब बनती है..


* इश्क के बाजार में हुस्न‌ एवं उम्र की जरूरत नही..

दिल जिस पर आ जाये वही सबसे हसीन होता है..💖


💞 *नज़रों से ना देखो हमें..  तुम में हम छुप जायेंगे..*

अपने दिल पर हाथ रखो तुम.. हम वही तुम्हें मिल जायेंगे..!*💞


**तुम ही तुम दिखते हो हमे, कुछ तो हुआ ज़रूर है...!*

ये आईने की भूल है या मेरी निगाहों का कसूर है...!!!*


*कुछ देर की खामोशी है, फिर शोर आएगा...!*

तुम्हारा सिर्फ वक़्त आया है, हमारा दौर आएगा...!!!*


*_"वो मंज़िल ही बदनसीब थी जो हमें पा ना सकी,…. वरना जीत की क्या औकात जो हमें ठुकरा दे ।"_*

🌹🍁🌳🌲🍃🌿🌸🎋🍂🎍🍀


* 🌹बीता हुआ कल जा रहा है उसकी याद में ही खुश हूँ........

आने वाले कल का पता नहीं बस इंतजार में ही खुश हूँ........✍🏻


**उम्र का कब दिल ख़्याल करता है, इश्क़ तो बस कमाल करता है,*

तू तो बस दिल जवान रख अपना, देख फिर दिल क्या धमाल करता है..!!*


*माना इतने बेहतरीन नहीं है हम लेकिन,*

बात बात पर रंग बदले इतने भी रंगीन नहीं है हम..!!*


**मुझे किनारा न मिले तो कोई बात नहीं,!* 

दूसरो को डुबा के मुझे तैरना नहीं आता!!*


*वो आज मशहूर हो गए जो कभी काबिल न थे...!*

और मंजिले उनको मिली जो दौड़ में कभी शामिल न थे...!!!*


*ना हो फिक्र किसी की, ये जज़्बातों में झलक जाता है...!*

जैसे दुख हालातों में, और प्यार बातों में झलक जाता है...!!!*


*जुबां मे गर गुरुर हो तो सुलह कहां से होगी..!!

चाहतें गर दिखावे की हो तो मोहोब्बत कहां से होगी....!!!!💔💔💔


*आँखों में ज़रा सी नींद...

और ज़ेहन में बहुत से तुम हो...!!!


*एक लम्हा .....सौ सवाल

सौ में सिर्फ....... तेरा ही ख्याल💞


* तोहमते तो लगती रही रोज नई नई, हम पर,

मगर जो सबसे हसीन इलजाम था, वो तेरा नाम था..


* इस दुनियाँ में सब कुछ बिकता है

फिर जुदाई ही रिश्वत क्युँ नही लेती?

मरता नहीं है कोई किसी से जुदा होकर

बस यादें ही हैं जो जीने नहीं देती..


कलम चलती है तो दिल की आवाज लिखता हूँ 

गम और जुदाई के अंदाज़-ए-बयां लिखता हूँ

रुकते नहीं हैं मेरी आँखों से आंसू

मैं जब भी उसकी याद में अल्फाज़ लिखता हूँ।


रोज़ रोज़ गिर कर मुकम्मल खड़ा हूँ,

ज़िन्दगी देख में तुझसे कितना बड़ा हूँ..


* *रखी नहीं कसर तुमने आँखों से ही क़त्ल में*।

छूके तुझे अल्फ़ाज़ ख़ुद ढल जाते हैं ग़ज़ल में*।


वह सुबह न आए आज मगर, 

वह सुबह कभी तो आएगी!

इन काली सदियों के सर से, जब रात का आँचल ढलकेगा

जब अम्बर झूम के नाचेगा, जब धरती नग़्मे गाएगी

वह सुबह कभी तो आयेगी !

जिस सुबह की ख़ातिर जुग-जुग से, हम सब मर-मर के जीते हैं

जिस सुबह की अमृत की धुन में, हम ज़हर के प्याले पीते हैं

इन भूखी-प्यासी रूहों पर, एक दिन तो करम फ़रमायेगी

वह सुबह कभी तो आयेगी !

माना के अभी तेरे-मेरे अरमानों की, क़ीमत कुछ भी नहीं

मिट्टी का भी है कुछ मोल मगर, इन्सानों की क़ीमत कुछ भी नहीं

इन्सानों की इज़्ज़त जब झूठे सिक्कों में ना तोली जायेगी

वह सुबह कभी तो आयेगी !

दौलत के लिये जब औरत की इस्मत को ना बेचा जायेगा

चाहत को ना कुचला जायेगा, ग़ैरत को ना बेचा जायेगा

अपनी काली करतूतों पर, जब ये दुनिया शरमायेगी

वह सुबह कभी तो आयेगी !

बीतेंगे कभी तो दिन आखिर, ये भूख और बेकारी के

टूटेंगे कभी तो बुत आखिर, दौलत की इजारेदारी के

जब एक अनोखी दुनिया की, बुनियाद उठाई जायेगी

वह सुबह कभी तो आयेगी !

मजबूर बुढ़ापा जब सूनी, राहों में धूल न फाँकेगा

मासूम लड़कपन जब गंदी, गलियों में भीख ना माँगेगा

हक माँगने वालों को, जिस दिन सूली न दिखाई जायेगी

वह सुबह कभी तो आयेगी !

फ़आक़ों की चिताओं पर जिस दिन इन्साँ न जलाए जाएँगे

सीने के दहकते दोज़ख में अरमाँ न जलाए जाएँगे

ये नरक से भी गंदी दुनिया, जब स्वर्ग बनाई जाएगी

वह सुबह कभी तो आएगी !

जिस सुबह की ख़ातिर जुग जुग से हम सब मर-मर के जीते हैं

जिस सुबह के अमृत की धुन में हम ज़हर के प्याले पीते हैं

वह सुबह न आए आज मगर, वह सुबह कभी तो आएगी

वह सुबह कभी तो आएगी !

० साहिर लुधियानवी।


*मुझे क्या पता तेरा प्यार क्या,मुझे क्या पता कि तू चीज़ क्या,*

मुझे किश्त किश्त मिला है तू,कभी एक मुश्त मिला ही नहीं।*


वो इस अंदाज से..मुझसे मुहब्बत चाहता है...!! 

मेरे ख़्वाब में भी..अपनी हुकूमत  चाहता है...!!!!


इश्क है धारा कयामत की 

   दिलों के इशारे पे नजर रखना 

ये मौजे है समंदर की 

  बस किनारे पे नजर रखना


* *एक हम है की खुद नशे में है,*

*एक तुम हो की खुद नशा तुम में है !*


 * अहमियत आपकी क्या है..बता नहीं सकते,

रिश्ता क्या है आपसे..समझा नहीं सकते,,

आप हमारे लिये इतने खास हो.......

अगर आप उदास हो तो हम मुस्कुरा नहीं

सकते,,......!!


**चलो एक रस्म हम यह भी निभा दें,*

जो हमसे ख़फ़ा हैं, उन्हें भी दुआ दें.


*कौन शरमा रहा है आज यूँ हमें फ़ुर्सत में याद कर के..*

हिचकियाँ आना' तो चाह रही हैं, पर 'हिच-किचा' रही है...*


कभी गम की आग में जल उठे,, कभी दाग-ए-दिल ने जला दिया....

 ऐ ...जुनून-ए-इश्क़,, बता ज़रा मुझे क्यों तमाशा बना दिया..।


* ईश्क़ अधूरा रह जाये तो खुद पर नाज़ करना,

कहते हैं सच्ची मोहब्बत मुकम्मल नहीं होती!


सर पर चढ़कर बोल रहे हैं पौधे जैसे लोग,

पेड़ बने खामोश खड़े हैं कैसे-कैसे लोग....✍️


* बेरुखी ने छीन ली है शरारतें मेरी

और लोग समझते हैं कि मैं सुधर गया हूँ ....✍️


* 🌹नज़रों से ना देखों हमें तुम में हम छुप जायेंगे........

अपने दिल पर हाथ रखो तुम , हम वहीं तुम्हें मिल जायेंगे........✍🏻


मेरी हर उलझन का हल तुम हो....

मेरे आज में , मेरे कल में ....मेरी हर साँस में , हर पल तुम हो....❣


मेरी आँख को यह सब कौन बताने देगा....

खवाब जिसके हैं वहीं नींद न आने देगा...


🌹ज़िन्दगी तो कब की ख़त्म हो चुकी है........

अब तो सांसों का इलाज अरते हैं और वो इस पर भी एतराज़ करते हैं........✍🏻


🌹उनके आने के इंतजार में हमनें सारे रास्ते दिएं से जलाकर रोशन कर दिये........

उन्होंने सोचा कि मिलने का वादा तो रात का था , वो सुबह समझ कर वापस चल दिये........✍🏻


🌹ज़िन्दगी की कशमकश में थोड़ा उलझ गये हैं दोस्तों........

वरना हम तो उनमे से हैं जो दुश्मनों को सपने मे भी अकेला महसूस नहीं होने देते........✍🏻


🌹चिरागों से अगर अंधेरे दूर होते तो चांदनी की चाहत किसे होती........

कट सकती अगर ये ज़िन्दगी अकेले तो , दोस्त नाम की चीज़ ही क्यों होती........✍🏻


🌹कभी आंसू तो कभी खुशी देखी , हमने अक्सर मजबूरी और बेकसी देखी........

उनकी नाराज़गी को हम क्या समझे , हमने तो खुद अपनी तकदीर की बेबसी देखी........✍🏻


🌹कितना मुश्किल है मोहब्बत की कहानी लिखना.......

जैसे पानी पर पानी से पानी लिखना........✍🏻


💞कभी तो चौंक के देखे कोई.....हमारी तरफ़,🌹💯〽️🎷

किसी की आँख में हमको भी इंतज़ार दिखे।💞💯〽️🎷


💞बड़ी मासूमियत होती है मोहब्बत भी जनाब..

धड़कने बढ़ जाती है एक अजनबी की बातों में.💞💯〽️🎷


* तेरा मेरा साथ इतना पुराना हो गया,

बदलते बदलते मौसम सुहाना हो गया,

याद है वो हमारी पेहली मुलाकात,

तू मेरी दीवानी, में तेरा दीवाना हो गया. !!!


* इश्क कहां रह गया अब इस झूठे जमाने में

अब तो हर कोई लगा रहता है एक दूसरे को आजमाने में


*ऐसा न हो तुझको भी दीवाना बना डाले !

तन्हाई में खुद अपनी तस्वीर न देखा कर !!


*तेरे एहसास से जुड़ी हर एक चीज़ को संभाले रखा है,

तुझसे शुरू हुई दास्तां का नाम हमने इश्क रखा है ।


*तुम  हो धूप, ....... और हूँ मैं जनवरी का दिन ❤️

तुम्हारा ज़रा सा होना भी ....... मुझे सुकून देता है..💖


*चलकर देखा है अक्सर, मैंने अपनी चाल से तेज.....*

पर वक्त, और तकदीर से आगे, कभी निकल न सका....*


**जो तेरा हो नहीं सकता,उसे पाने की ज़िद ना कर,*

सुकूं तेरा भी जाता है,सुकूं उसका भी जाता है।*


*लफ़्ज़ों में कैसे समझाऊं तुम्हें अपनी चाहत का इशारा...,*

अब धड़कनें भी तुम्हारी हो गई और दिल भी तुम्हारा।*


तुम्हारे नाम को होंठों पर सजाया है मैंने

तुम्हारी रूह को अपने दिल में बसाया है मैंने

दुनिया आपको ढूंढते ढूंढते हो जायेगी पागल

दिल के ऐसे कोने में छुपाया है मैंने💞💞


सब्र की हल्की आंच में पकने दो इसे,

इश्क है या वहम... सब नजर आएगा...!!


*चाय जैसा किरदार है मेरा

किसी को हद से ज्यादा पसंद हूँ

तो किसी को नाम से ही नफ़रत है..

: सवालों में इक सवाल ये भी है...!! 


मुझमें सिर्फ मैं हूँ, की तू भी है...!

: इश्क़ का नशा हर नशे पर भारी पड़ता हैं,

जालिम एक बार चढ़ जाए तो उतारनेका नाम ही नही लेता 


: उन्होंने मेरी आँखों मे कई ख्वाब झूलते देखे हैं,

अफसोस, उन्होंने मेरी ख़्वाबोंमे खुदहीको बसा नही देखा है


: मेरी हर फिक्र में जिक्र में तेरी सुमारी है,

मेरे लम्हों में छाई बस तेरीही खुमारी है,


है किस्से जिंदगानी के तुम्हारे नाम से रोशन,

मेरे हर पलमें मुझसे ज्यादा तेरी साझेदारी है,


मेरी अनसुनी गजल को हसी अल्फ़ाज़ दे

ए नदी बह मेरी ओर मेरी प्यास को आराम दे..!!


 कभी मसरूफ, कभी बहाने, कभी इतनी मजबूरियां,

तुम साफ लफ़्ज़ों में अलविदा क्यों नहीं कहते..


 तेरे हुस्न पर लिखने को बहुत कुछ था आज,

पर तेरी आंखों' से आगे हम बढ़ ही ना पाए !!


 इस दुनिया के लिए महज एक कागज का टुकड़ा हूँ मै,

पर जो मेरी दुनिया हैं उसके लिए पूरी की पूरी किताब हूँ


: जो मोहब्ब्त तुम बयां नही कर पाती हो मुझसे,

वही पढ़ता हूँ मैं तुम्हारी आँखों में..❤️


: मर्ज़ ए मोहब्बत का एक ही इलाज़ होता है,

दवा ए महबूब मिले तो आराम आये ...


जी भर के इश्क़ की नज़रों से देखा है,,, तुम्हें

घर जाते ही नज़र अपनी उतार लेना तुम.!!


: ये इश्क का वहम न जाने

         क्या क्या करवाता है,,,,,

तू सामने नहीं है पर

        हर जगह नज़र आता है....!!

     💕💕💕

तमन्ना इश्क की हम भी रखते है...

जिऐं तो तुम्हे पाये हारे तो तुम्हारे हो जाऐं.


: देखने क्यों नहीं देते तुम मुझ में....मुझको., 

ये क्या हर वक्त तुम...तुम...और बस तुम...!!♥️♥️

 

मेरे इश्क़ की कहानी न पूछ तू मुझसे,

हर सांस में हजारों बार तेरा नाम लिया है।।


: ये रजाई कंबल से सर्दी नहीं जानी है,

मुझे तो बस सर्दी तेरी बाहों में बितान

खत्म होता देख रहा हूँ खुद को,

अगर तुम मिल जाओ जीने लगूँ मैं।।


 मैं हर्फ़ हूँ पन्नो का और तू दास्ताँ किताबों की,

मैं क़ैदी तेरे ख्यालों का,तू हकीकत मेरे ख्वाबों की।।

:

 भरी बहार में इक शाख़ पर खिला है गुलाब

कि जैसे तू ने हथेली पे मेरी गाल रक्खा है..

 

मोहब्बत की है फिक्र तो अब होगी उसकी,

अल्फ़ाज़ों में कभी,कभी बेजुबान ख्यालों में ज़िक्र तो अब होगी उसकी,

साथ जिस्मों का नहीं हर पल मुमकिन पर हर साँसे तो अब इत्र होंगी उसकी।।।


: कब तलक बेज़ार रहूँ ज़िन्दगी में मैं भी,

गर ऐसी है ज़िन्दगी, तो खुदकुशी क्या है


: एक ख़ुश्बू सी उभरती है नफ़स से मेरे

हो न हो आज कोई आन बसा है मुझ में 💕💕

 उनसे कह दो किसी और से मोहब्बत की ना सोचें,


एक हम ही काफी हैं उन्हें उम्र भर चाहने के लिए।

 अपनी साँसे अपनी आहे तुमपे वार बैठे है

मोहब्बत तेरे सदके हम खुद को हार बैठे है...!!!

 

मेरे रूह का रेशा रेशा

रंग गया तुम्हारा इश्क

कुछ इस तरह से हार कर

तुम्हें जीता है मेरा इश्क..


: इतना इंतज़ार अपनी धड़कनों का नहीं जितनाआप के आने का करते हैं

इतना इंतज़ार अपनी साँसों का नहीं जितना आपसे मुलाक़ात का करते हैं


: खूब जमेगी जब होगी आपसे मुलाक़ात,

कुछ खर्च होंगी बाते कुछ लुटेंगे जज्बात……!!!

जाते जाते कहीं भी मुलाक़ात हो जाये आपसे..

तलाश ये नज़र आपको बार बार करती है….!!!!

 

आप जो हँसो तो दुनिया हँस जाये;आपकी हँसी इस दिल में बस जाये;

होगी मुलाक़ात कल फिर आपसे;यही सोच कर दिल में मेरे खुशियों का रस घुल जाये

:

 सब कुछ मिला सकून की दौलत नहीं मिली ! आपसे मुलाक़ात की मोहलत नहीं मिली

करने को और भी काम थे मगर ! हमको आपकी याद से फुरसत नहीं मिली

:

 हम उनसे मिले तो कुछ कह न सके “दोस्तों”

ख़ुशी इतनी थी कि मुलाक़ात आंसू पोंछते पोंछते ही गुजर गयी

 

*कुछ नशा तो आपकी बात का है, कुछ नशा तो धीमी बरसात का है,

हमे आप यूही शराबी ना कहिए, यह दिल पर असर तो आपसे मुलाक़ात का है


 हुई मुलाक़ात किसी राह पर उनसे

अब खोजता हू हर राह पर उनको

:

 * कुदरत के करिश्मों में अगर रात न होती

ख्वाबों में भी फिर उनसे मुलाक़ात न होती

 अभी अभी हमने दर्द को उनके नासूर बना डाला,


हमने तो कभी फ़िकर नही की उनसे मुलाक़ात की

मगर जाने क्यूँ उन्होंने हमें अपना ग़ुरूर बना डाला


*मैं तेरे प्यार से बच कर जाऊं तो कहाँ जाऊं...!!*💜

"तू" मेरी सोच की हर दहलीज़ पे नज़र आती है...!!*💜


*आंधी चली थी कल रात इल्ज़ामों की ,

सुबह रिशता बिखरा बिखरा सा मिला...🔥

*क्या "बुरा" है...ये "बताया" था...कुछ "अपनों" को.....*

:मैं" ही बुरा हो गया..."उन-सब" की..."नजरों" में.....


*अक्सर पूछते हैं लोग मुझसे बिछड़ने की वजह!               मैं खुद की कमी बताकर तेरी इज्ज़त बढ़ा देता हूँ!!**


आंखें पढ़ो, और जानो हमारी  रज़ा क्या है. . .💕*

हर बात लफ़्ज़ों से बयान हो, तो मज़ा क्या है. . . !💕*


**करोगे एक दिन तुम भी, हमसे मिलने की आरजू...!!* 


*पाओगे हमको बस कभी ख्यालों में कभी सवालों में...!!!!*


* *किसी ने हमसे कहा* दोस्ती* धीमा ज़हर है*....

हमने भी मुस्कुरा* *के कहा हमें भी कहां जल्दी

 *मरना* *है*…💞


इश्क कहां रह गया अब इस झूठे जमाने में

अब तो हर कोई लगा रहता है एक दूसरे को आजमाने में


* अपने ही होते हैं जो दिल पे वार करते हैं फ़राज़ 

 वरना गैरों को क्या ख़बर की दिल की जगह कौन सी है


अपनी नाराज़गी कि कोई वजह तो बताई होती, 

 हम ज़माने को छोड़ देते एक तुझे मनाने के लिए…


पलको पर रूका है समन्दर खुमार का, 

 कितना अजब नशा है तेरे इंतजार का…


* वो सुर्ख होंठ और उनपर जालिम अंगडाईयां, 

 तू ही बता ये दिल मरता ना तो क्या करता...


* बात खत्म होगी कब्र की मिट्टी पर

हम तुझे जिंदा भुल नहीं सकते...,


गजल  भी  मेरी  है  शायरी  भी  मेरी  है..

मगर  लफ्जों  में  जो  छुपी  है

      वो  बात   सिर्फ  तेरी  है..


* तू हजार बार रुठेगी फिर भी तुझे मना लूँगा........

तुझसे प्यार किया है कोई गुनाह नही जो तुझसे दूर होकर खुद को सजा दूँगा........✍🏻


*ख्वाहिश ये नहीं थी कि तुम टूट कर चाहो हमें....,*

 ख्वाहिश बस इतनी है कि कभी टूटने न देना हमें....!*


आज अनकहा सा उनका जवाब आया,,

ना चाह कर भी वो याद बेहिसाब आया....!!


* बेरुखी ने छीन ली है शरारतें मेरी

और लोग समझते हैं कि मैं सुधर गया हूँ ....✍️


सर पर चढ़कर बोल रहे हैं पौधे जैसे लोग,

पेड़ बने खामोश खड़े हैं कैसे-कैसे लोग....✍️


* ये मंजिलें बड़ी जिद्दी होती हैं,

हासिल कहां नसीब से होती हैं।

मगर वहां तूफान भी हार जाते हैं,

जहां कश्तियां जिद्द पे होती हैं।।


* ऐसा लगता है भूल गया हूँ मैं नाम अपना,

इक मुद्दत से तुमने मुझे पुकारा नही।


हर शाम सुकू को महफूज़ कर लेते हैं:

जब भी तन्हा होते है तुम्हें महसूस कर लेते हैं।


* "दोस्तों की कमी को पहचानते हैं हम, 

दुनिया के गमो को भी जानते हैं हम,

आप जैसे दोस्तों का सहारा है, 

तभी तो आज भी हँसकर जीना जानते हैं हम."


* आओ बैठो जरा सामने, आपकी आँखों में तो खोने दो...!!

मोहब्बत की है आपसे, जरा महसूस तो होने दो...!!


*मेरी गुस्ताखियों को तुम माफ़ करना,*

मै तुम्हें तुम्हारी इजाजत के बिना भी याद करता हूँ..💞


*कुछ तो नशा है तेरी नज़रो में वरना,,*

इनमे डूबने की खता हम बार बार नही करते*


*ज़र्रे ज़र्रे में रब की निगाहें करम हैं*

कभी ये नहीं कहना कि रों पर ज्यादा और

मुझ पर कम है*


**स्याही की तासीर का अंदाज देखिये....*

*खुद-ब-खुद बिखरती है तो दाग बनती है..*

*कोई और बिखेरता है तो अल्फाज बनती है..,*

और  उँगली पर लग जाये तो सरकारे बदलती है !!


*दिल तो रोज़ कहता है मुझे कोई सहारा चाहिए ,*

फ़िर दिमाग़ कहता है क्यों तुम्हें धोखा दोबारा चाहिए ..


*"ख्वाहिशों" से भरा पड़ा है "घर" इस क़दर...!!

 रिश्ते "तरसते" हैं ज़रा सी "जगह" के लिए...!!


*🌹मुझे आदत नहीं यूँ हर किसी पर मर मिटने की........

पर तुझे देख कर दिल ने सोचने तक की मोहलत ना दी........✍🏻


**जिन पर लुटा चुका था मै दुनिया की दौलते..!!*|

*उन वारिसो ने मुझे कफन भी नापकर दिया यारों..!!🙏🏻


*रात थी, सन्नाटा था, अँधेरों का सिलसिला भी था...

उस घड़ी मैं तन्हां  था, पर उनकी यादों का क़ाफ़िला भी था।।


* *ज़रा सी दोस्ती कर ले..ज़रा सा हम नशी  बन जा*💞💞💞💞🌹

थोडा  तो साथ दे मेरा ...फिर चाहे  अजनबी बन जा*💞💞💞💞💞


*नफरत करके क्यो बढ़ाते हो अहमियत किसी की!,*

माफ करके शर्मिंदा करने का तरीका भी तो कुछ बुरा नहीं!!*


“वो इश्क़ नहीं हमसे कारोबार कर रहे थे,कि जब फ़ुर्सत में थे तभी प्यार कर रहे थे।”


वो जाने के बाद भी जिन्दगी में ऐसे रह गया,

रोने के बाद जैसे सिसकियाँ रह जाये।


खुश रहना तो हमने भी सीख लिया था उनके बगैर,

मुद्द्त बाद उन्होंने हाल पूछ के फिर बेहाल कर दिया..!


जिन्हें पता भी नहीं मजबूरीया मेरी,
वो भी सलाह देते हैं, मुस्कुराकर जिया कर।


*शक नहीं कि मंजिल तक पहुँच ही जाउँगा........

फ़िक्र ये की उसके बाद कहाँ जाऊंगा........✍🏻


*बहुत संभाल कर खर्च करता हूँ उसकी यादों की दौलत........

आखिर एक उम्र गुजारनी हैं इन्हीं की बदौलत........✍🏻


*बात खत्म होगी कब्र की मिट्टी पर

हम तुझे जिंदा भुल नहीं सकते...,


* हिसाब आज तक इसका कोई रख ही नहीं पाया........

किसी को पाने की हसरत में क्या क्या  खोना पड़ता है........✍🏻


* मुझ पर अपना,
इश्क यूँ ही उधार रहने दे.

बड़ा हसीन है ये कर्ज,
मुझे अपना कर्जदार रहने दे....


 *उन्हें शौक था अखबारों के पन्नों पर बने रहने का,*

*वक़्त ऐसा आया कि, वह रद्दी के भाव बिक गये​..🆚


                



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